भारत सहित दुनिया भर में राज्य-प्रायोजित हैकिंग के खतरे बढ़ रहे हैं।

सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद के अनुसार, अब हार्डवेयर सुरक्षा परीक्षण और पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी जैसी सफल परियोजनाओं को बढ़ाने का समय आ गया है।

चेन्नई में सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन एंड सिक्योरिटी (SETS) के स्थापना दिवस पर बोलते हुए, सूद ने SETS को उद्योग, अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं और शिक्षा जगत के साथ अपने सहयोग को गहरा करने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश की कंप्यूटिंग और संचार संरचना क्वांटम-सुरक्षित है।

इस अवसर पर सूद ने क्वांटम सिक्योरिटी रिसर्च लैब का भी उद्घाटन किया।

2002 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा परिकल्पित, SETS एक साइबर सुरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन है जो साइबर सुरक्षा, क्रिप्टोलॉजी, हार्डवेयर सुरक्षा, क्वांटम सुरक्षा और नेटवर्क सुरक्षा के मुख्य क्षेत्रों में अनुसंधान करता है।

वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी के अनुसार, साइबर सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने और मजबूत समाधान विकसित करने के लिए SETS के लिए ये प्रगति महत्वपूर्ण हैं।

डॉ. मैनी ने राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत साइबर सुरक्षा के लिए एआई सहित अत्याधुनिक परियोजनाओं में एसईटीएस की भागीदारी का भी उल्लेख किया।

उन्होंने क्वांटम संचार और 6जी जैसे क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए मानक-आधारित विकास के महत्व पर जोर दिया।

भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) के महानिदेशक डॉ. संजय बहल ने एआई, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) के प्रसार और ड्रोन के संदर्भ में साइबर सुरक्षा की उभरती चिंताओं का उल्लेख किया।

उन्होंने आग्रह किया कि एसईटीएस को इन चुनौतियों का समाधान करने और नवीन समाधान विकसित करने के लिए एक रोडमैप विकसित करना चाहिए।