सरमा ने कहा कि स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (पीआरसी) स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकता, क्योंकि अगर कोई व्यक्ति तीन साल तक असम में रहता है तो पीआरसी प्राप्त किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर, लाइब्रेरियन, ग्रेड III और ग्रेड IV कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए पीआरसी की छूट के संबंध में उच्च शिक्षा विभाग की अधिसूचना से उपजी प्रतिक्रियाओं पर आई है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने चयन के लिए स्थानीय भाषा में योग्यता अनिवार्य कर दी है, जिससे उनके अनुसार स्थानीय लोगों के अधिकारों और हितों की रक्षा होगी।

असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगु ने एक्स में कहा, “स्थायी आवासीय प्रमाणपत्र (पीआरसी) से संबंधित नोटिस सरकार की मंजूरी के बिना उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा जारी किया गया था। डीएचई को तुरंत नोटिस वापस लेने का निर्देश दिया गया है।

सरमा ने एक्स में कहा, “आगे पता करें कि उच्च शिक्षा निदेशक ने किस अधिकार से यह परिपत्र जारी किया। ऐसा सर्कुलर केवल सरकार द्वारा जारी किया जा सकता था, निदेशालय द्वारा नहीं।”

डीएचई द्वारा जारी सर्कुलर की कई हलकों से आलोचना हुई थी और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) ने इस कदम की निंदा की थी और सरकार से "स्थानीय लोगों के प्रति अधिक जिम्मेदार" होने के लिए कहा था।

एएएसयू ने यह भी मांग की कि परिपत्र को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए।

असम उच्च शिक्षा विभाग ने 4 जुलाई को विभिन्न कॉलेजों के प्राचार्यों को एक परिपत्र में कहा कि कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर, लाइब्रेरियन, ग्रेड III और ग्रेड IV कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए पीआरसी अनिवार्य नहीं है।