नई दिल्ली [भारत], राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को डॉ. बीआर अंबेडकर को उनकी 134वीं जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी संसद परिसर में उनकी प्रतिमा पर संविधान निर्माता को श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति मुर्मू ने एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, ''हमारे संविधान के निर्माता और सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्र निर्माताओं में से एक बाबासाहेब भीमराव रामजी अंबेडकर की जयंती के अवसर पर, मैं सभी साथी नागरिकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बीआर अंबेडकर को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने कानून के शासन, नागरिक स्वतंत्रता, लैंगिक समानता और हाशिए पर मौजूद वर्गों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले संवैधानिक ढांचे के माध्यम से एक समतावादी भारत के निर्माण के लिए सामाजिक परिवर्तन का नेतृत्व किया बीआर अंबेडकर की आज जयंती है। भारत के महान सपूत बाबासाहेब न केवल भारतीय संविधान के निर्माता थे, बल्कि सामाजिक न्याय के समर्थक भी थे। उन्होंने कानून के शासन, नागरिक स्वतंत्रता, लैंगिक समानता और हाशिए पर मौजूद वर्गों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले संवैधानिक ढांचे के माध्यम से एक समतावादी भारत के निर्माण के लिए सामाजिक परिवर्तन का बीड़ा उठाया। आइए हम डॉ. अंबेडकर द्वारा रखे गए आदर्शों को अपनाएं और एक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज के उनके सपने को साकार करने की दिशा में काम करें। #BRAmbedkar, उपराष्ट्रपति ने कहा, 14 अप्रैल, 1891 को जन्मे बाबा साहेब अंबेडकर एक भारतीय न्यायविद्, अर्थशास्त्री राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे, जिन्होंने दलितों के प्रति सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाया और महिलाओं और श्रमिकों के अधिकारों का समर्थन किया। 6 दिसंबर को उनकी मृत्यु हो गई। , 1956 बाबा साहेब अम्बेडकर एक प्रतिभाशाली छात्र थे, उन्होंने 1956 में कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन विश्वविद्यालय दोनों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने अछूत समुदाय के मुख्य जल टैंक से पानी निकालने के अधिकार के लिए लड़ने के लिए महाड में सत्याग्रह का नेतृत्व किया। 25 सितंबर 1932 को अंबेडकर और मदन मोहन मालवीय के बीच पूना पैक्ट के नाम से जाने जाने वाले समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते के कारण, दलित वर्ग को पहले आवंटित 71 सीटों के बजाय 148 सीटें प्राप्त हुईं। आजादी के बाद भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के सात सदस्यों को 1990 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। बाबा साहेब अम्बेडकर की 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनके घर पर नींद में ही मृत्यु हो गई।